Devi Dhumawati Temple धूमावती मन्दिर Mandi, Himachal Pradesh

 
Dhumavati Temple, Mandi Himachal

Dhumavati Temple, Mandi, Himachal Pradesh



हिमाचल प्रदेश के जिला मण्डी  में बहुत से पर्यटक स्थल  हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं, और जिनका सौंदर्य निहारने के लिए लोग दूर दूर से मण्डी जिला में आते हैं.जिला मण्डी के पर्वतीय क्षेत्र बहुत ही मनोरम और खूबसूरत क्षेत्र हैं.मध्य हिमालय (Mid Himalya)निम्न हिमालय (lower Himalya)और शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित जिला मण्डी अपनी देव संस्कृति लिए विख्यात है। यहाँ बहुत से  देवी देवताओ  के निवास स्थान हैं, जो इनके मूल स्थान माने जाते हैं. मण्डी शहर से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं धुआँधार की पहाड़ियां, यहाँ चीड़, और देवदार के खूबसूरत और घने जंगलो के बीच स्थित है, माँ देवी धूमावती का मन्दिर। यह स्थान देवी धूमावती का मूल स्थान माना जाता है। यह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जहां घूमने फिरने के लिए काफी लोग आते रहते हैं।  यह स्थान मण्डी  शहर का सबसे नज़दीकी पर्यटक स्थल भी है। यहाँ पहुँचने के लिए मण्डी शहर  (वीडियो) के सौली खड्ड नामक स्थान पर स्थित पेट्रोल पंप के समीप एक लिंक रोड ( मण्डी -मझवाड़) से अपना सफर शुरू करना  होता है. उसके बाद शुरू होती है पहाड़ो की सैर। चीड़ के घने जंगलो में से गुजरती सर्पीली सड़क पर सफर करना अपने आप में एक रोमांच ही है.






Devi Dhumawati Temple धूमावती मन्दिर Mandi, Himachal Pradesh

धुंआधार की पहाड़ियां 


एक मन्दिर जहाँ देवता को चढ़ाई जाती है सिगरेट ll Mandi Himachal



  
कुछ सफर करने के बाद रास्ते में  माँ योगिनी का मन्दिर है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहाँ दो बड़े बड़े पत्थरों के बीच में छोटे कंकर फेंकने से अपने मन की इच्छा पूरी होगी या नहीं ,इस बारे में पता चलता है. यदि दोनों पत्थरों के बीच कंकर टिक जाये तो मन की इच्छा पूरी होती है, यह एक वास्तविकता है। यहाँ से कुछ दूरी पर भगवती काश्मीरी देवी का मंदिर भी है। मन्दिर में काफी सुन्दर देवी देवताओ  चित्र उकेरे गए हैं।              
                              
           



Kaashmiri Devi temple

Kaashmiri Devi Temple


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यह क्षेत्र मण्डी जिला की सदर तहसील की  मझवाड़ पंचायत के अंतर्गत आता है। यह एक काफी बड़ा इलाका है, मझवाड़ पंचायत के अंतर्गत काफी गाँव हैं जो दूर दूर बसे हुए हैं। यहाँ की आबादी भी कम है , यहाँ का अधिकांश भू-भाग वन  विभाग के अंतर्गत आता है, इसलिए यहाँ वनों का विस्तार काफी है। यह क्षेत्र खूबसूरत होने के साथ काफी शांतिपूर्ण भी है. यहाँ कहीं -कहीं पर घने जंगल हैं और कहीं- कहीं पर लोगो की चरागाहें हैं जो  साल भर हरी हरी लम्बी घास से भरी रहतीं हैं जिस कारण यहाँ चारो ओर हरयाली ही हरयाली दिखाई देती है।  साल भर यहाँ का मौसम बेहद खुशनुमा रहता है, जिस से यहाँ आने वाला हर शख्स बार बार यहाँ आने को बेताब रहता है। 



way to Temple


View of  Greenary Between the Way to Dhumavati


पहाड़ी जंगल क्षेत्र होने के बावजूद यहाँ  सड़क की हालत काफी अच्छी है हालाँकि कुछ समय पहले तक ,पंचायत के एक गाँव कोटमोर्स से आगे की सड़क बेहद उबड़ खाबड़ और पथरीली थी, लेकिन अब लोगों की सुविधा के लिए नई सड़क का  निर्माण हुआ है जिस से अब किसी भी मौसम  यहाँ आया जा सकता है। लगभग 20 किलोमीटर का सफर करने के बाद धुँवाधार पहुँचते ही सफर की सारी थकान दूर हो जाती है। प्रकृति के सुन्दर नज़ारे देखने को मिलते हैं। चारो तरफ चीड़, बान , बुरांस और जंगली फल काफल के पेड़ दिखाई  देते हैं जो यहाँ की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं।   वन विभाग द्वारा अब यहाँ देवदार प्रजाति के वृक्ष भी लगाए जा रहे हैं जो यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती और वातावरण को और ज्यादा मनमोहक बना रहे हैं. 





Dhumavati Temple Mandi Himachal Pradesh


धूमावती मन्दिर , मण्डी ,हिमाचल प्रदेश 

 यहाँ देवी धूमावती का मन्दिर शिखर शैली में निर्मित है , जिसके भित्ति दीवारों पर देवी देवताओ के  सुन्दर चित्र प्रस्तुत किये गए हैं , लकड़ी पर सुन्दर नक्काशी द्वारा मन्दिर को खूबसूरती के साथ सजाया गया है।  यह मन्दिर धुआंधार के जंगलो के बीचों बीच स्थित है। यह स्थान माँ धूमावती का  मूल स्थान माना जाता है, मन्दिर के गर्भ गृह में देवी की पाषाण निर्मित मूर्ति स्थापित है  और गर्भगृह के द्वार पर देवी धूमावती का चित्र उकेरा गया है इस पर वे अपने रथ पर सवार दिखाई गयीं हैं, देवी धूमावती को, माँ शक्ति का अवतार माना जाता है, नवरात्री के दौरान यहाँ भक्तो की काफी भीड़ देखी जाती है। धुआँदेवी की पहाड़ियों पर  हर समय ठंडी ताज़ा हवाएं चलती रहती हैं इसलिए यहाँ गर्मी के मौसम में भी गर्मी का एहसास नहीं होता। यह एक अच्छा पिकनिक स्थल भी है, रात्रि विश्राम के लिए यहाँ वन विभाग का विश्राम गृह भी है जहाँ पहले से ही बुकिंग करवा कर यहाँ रात्रि विश्राम के लिए रुका जा सकता है। इतनी सारी  खूबियों के बावजूद यह एक दुखद पहलू है कि यहाँ के जंगलो में हर साल भड़कने वाली आग और तेज़ हवाओ के कारण काफी वृक्ष टूट कर गिर जाते हैं जिससे वनों को काफी नुक्सान पहुँच रहा है, यहाँ रहने वाले जीव जंतु भी प्रभावित् हो रहे हैं, इसलिए अब यहाँ चीड़ के अलावा देवदार प्रजाति के पेड़ लगाए जा रहे है,जो आसानी से आग नहीं पकड़ते और मजबूती से खड़े रहते हैं।  



                                                                                               
                                                                                            

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