बैंक में जमा होगा प्रदेश के मंदिरों का सोना !! सरकार ने दिए मन्दिर कमेटियों को निर्देश !!

भाषा एवं संस्कृति विभाग ने इस बारे में प्रदेश के सभी मंदिर आयुक्तों और जिला उपायुक्तों को पत्र जारी किया है। इसमें निर्देश दिया गया है कि मंदिर ट्रस्ट अपनी अगली बैठक में इस योजना पर चर्चा करें और सरकार को प्रस्ताव भेजें..

                                                                     


प्रदेश के मन्दिरों का सोना चांदी होगा बैंक में जमा 

हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में वर्षों से जमा सोने और चांदी का अकूत भण्डार' अब आमदनी का जरिया बनने जा रहा है। ये कीमती धातुएं' जो अब तक मंदिरों के कोषागारों में सुरक्षित थीं,'अब प्रदेश सरकार की नजर में हैं। अरबों रूपये की इस सम्पति को अब प्रदेश सरकार अपनी सरकारी योजना के अंतर्गत लाने की तैयारी में है। देवी देवताओं की इस सम्पति को सरकार ने अब मन्दिरों का सोना चाँदी गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत' बैंकों में जमा कराने की योजना  बनाई है। इससे मिलने वाला ब्याज मंदिर ट्रस्टों को मिलेगा, जिससे श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बेहतर की जा सकेंगी।



भाषा एवं संस्कृति विभाग ने इस बारे में प्रदेश के सभी मंदिर आयुक्तों और जिला उपायुक्तों को पत्र जारी किया है। इसमें निर्देश दिया गया है कि मंदिर ट्रस्ट अपनी अगली बैठक में इस योजना पर चर्चा करें और सरकार को प्रस्ताव भेजें। राज्य के मंदिरों में फिलहाल 6 क्विंटल से अधिक सोना और 200 क्विंटल से ज्यादा चांदी जमा है।करने भेजने के निर्देश 




सुप्रसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट के पास ही करीब 30 किलो सोना और 3 क्विंटल 68 किलो चांदी मौजूद है। अगर यह योजना सिरे चढ़ती है तो इस सोने का शुद्धिकरण कर बैंक में जमा कराया जाएगा। इस सिलसिले में  एसबीआई बैंक शिमला के महाप्रबंधक के साथ' भाषा एवं संस्कृति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई हो चुकी है। बैंक सोने का शुद्धता परख कर एक प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी करेगा, जिसके आधार पर मंदिर का बैंक खाता खुलेगा और ब्याज की राशि उसी खाते में जमा की जाएगी।


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 फिलहाल चांदी को लेकर कोई स्पष्ट योजना नहीं बताई गई है, लेकिन मंदिर ट्रस्टों से कहा गया है कि वे इसके निपटान के लिए भी जरूरी कदम उठाएं। बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट ने अपनी हालिया बैठक में इस योजना के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है। ट्रस्ट का कहना है कि अगर प्रदेश के अन्य मंदिरों में इसे लागू किया जाता है, तो बाबा बालक नाथ मंदिर न्यास भी इसे अपनाएगा ।                   

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