ऊना, हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से एक है जो हिमाचल प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम दिशा में है। हिमाचल प्रदेश में ऊना जिला की सीमायें उत्तर-पूर्व में बिलासपुर, कांगड़ा और
हमीरपुर से मिलती हैं, जबकि पश्चिम और दक्षिण में ऊना जिला की सीमाएं पंजाब राज्य के होशियारपुर और रोपड़ जिला से मिलती हैं। साल 1966 तक ऊना होशियारपुर जिले की तहसील थी। ऊना जिला शिवालिक पर्वत शृंखला का अंत है। ऊना जिला निम्न हिमालय पहाड़ी (लघु हिमालय) क्षेत्र है और हिमाचल के बाकी अन्य जिलों से अधिक मैदानी क्षेत्र है। सागरतल से ऊना की कुल ऊंचाई 350 मीटर से 1200 मीटर है। ऊना जिले का कुल क्षेत्र 1549 वर्ग. किमी. है। ऊना की मुख्य नदी "स्वां " नदी है। ऊना जिला को हिमाचल प्रदेश के एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में भी पहचाना जाता है। जिला में हिंदी, पंजाबी और पहाड़ी भाषा का अधिक प्रयोग होता है। ऊना जिला धार्मिक दृष्टि से भी पुरे देश में प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष हिंदू और सिख धर्म के लोग यहां अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए आते हैं। ।
ऊना जिला, जो 1 सितंबर 1972 को हिमाचल प्रदेश के जिला के रूप में अस्तित्व में आया, कभी प्राचीन समय में कांगड़ा के "कटोच" राजवंश के अधीन था। ऊना को उस समय 'जसवां दून' के नाम से जाना जाता था, जिसकी स्थापना कटोच वंश के सेनापति पूरब चंद के द्वारा साल 1170 में हुई, माना जाता है। मुगल बादशाह अकबर के आक्रमण के बाद कटोच राजाओं की जागीरदारी समाप्त हुई और यह क्षेत्र मुगल साम्राज्य के अधीन हो गया। जसवां रियासत में मुगल साम्राज्य के विरुद्ध कुछ एक असफल आंदोलन या विद्रोह हुए जिनके बावज़ूद जसवां रियासत ने मुगल सल्तनत का साथ हर कदम पर दिया, जिसकी एवज में यहां के जागीरदारों जागीरों का मालिक उन्हें ही बना दिया गया। लेकिन मुगल साम्राज्य के पतन के समय जसवां में मुगलों की शक्ति कम होने लगी थी, उस समय कांगड़ा के राजा संसार चंद ने खुद को काफी शक्तिशाली राजा के रूप में स्थापित कर लिया था। लेकिन साल 1804-05 के दौरान "गोरखा" सेना ने कांगड़ा और इसके आस पास के क्षेत्र पर हमला कर दिया जिसका कारण राजा संसार चंद को कांगड़ा के किले में परिवार सहित शरण लेनी पड़ी, साल 1809 में राजा संसार चंद ने पंजाब के राजा रणजीत सिंह से मदद ली जिन्होनें पहले से ही अपनी सेना का रुख इस क्षेत्र की तरफ किया हुआ था। राजा रणजीत सिंह, कुछ शर्तो पर राजा संसार चंद की मदद करने को तैयार थे। जिसके परिणाम में कांगड़ा का बहुत सारा हिस्सा राजा रणजीत सिंह के साम्राज्य (पंजाब) के अधीन हो गया। जसवां के अंतिम राजा "उम्मेद चंद" ने जसवां रियासत का त्याग कर राजा रणजीत सिंह के अधीन होना स्वीकार कर लिया जिसके लिए उन्हें वार्षिक मुआवजा मंजूर किया गया। साल 1846 के आस-पास यह क्षेत्र भी ब्रिटिश सरकार ने अपने अधीन ले लिया। आज़ादी के साल 1947 तक क्षेत्र ने काफी लंबा ऐतिहासिक सफ़र तय किया जो आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। आजादी के बाद 1 नवंबर 1966 तक ऊना पंजाब के होशियारपुर की तहसील थी जो कुछ सालों के बाद 25 जनवरी 1972 में नवगठित राज्य हिमाचल प्रदेश के एक स्वतंत्र जिले के रूप में सामने आया।
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ऊना जिला की सभी सरकारी गतिविधियाँ ऊना से चलती हैं। ऊना का जिला मुखालय ऊना शहर में ही है। जिलाधीश कार्यालय सहित अन्य सरकारी कार्यालय शहर में ही हैं। ऊना जिला के कुल 4 उपमंडल ऊना, हरोली, बंगाणा और अम्ब हैं। जिला की कुल 5 तहसील ऊना, अंब, हरोली और बंगाणा बनाई गई हैं जबकी भरवाईं, ईसपुर और जोल 3 उपतहसील बनाई गई हैं, ऊना के विकास में सुविधा के लिए 5 विकास खंड और 235 पंचायत हैं जिनके अधीन 866 गांव आते हैं। ऊना जिले का कुल क्षेत्र 1549 वर्ग कि.मी. है. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 5,21,057 है जिनमें से 2,63,541 पुरुष हैं। जिले का लिंग अनुपात 977 है। ऊना में प्रति व्यक्ति घनत्व 338 लोग प्रति वर्ग कि.मी. है। जिला में शिक्षा का आंकड़ा 87.32% है। समुद्र तल से ऊना की कुल ऊंचाई 350 मीटर से 1200 मीटर है। ऊना प्रदेश के सबसे गर्म क्षेत्रो में गिना जाता है। यहाँ का तापमान गर्मियों में 8 C से 45.0 C तक हो जाता है। यहाँ के लोगों का मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन है। ऊना हिमाचल के मुख्य औद्योगिक क्षेत्र में से एक है। देश विदेश की कंपनियां यहां विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही हैं।
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ऊना पहुँचने के लिए सड़क मार्ग और रेल मार्ग का प्रयोग किया जा सकता है। ऊना राष्ट्रीय महामार्ग- 22, 70 से जुड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में अभी तक केवल एक ही ब्रॉडगेज रेलवे लाइन है जो ऊना जिले में है जिस पर रोजाना दिल्ली से जुड़ने वाली हिमाचल एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस रेल दौड़ती है। अब 13 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ऊना से दिल्ली चलने वाली वन्दे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन किया है। यह भारत की चौथी वन्दे भारत रेल है। ऊना दिल्ली से 375 किलोमीटर और चंडीगढ़ से 120 किलोमीटर है। हवाई यात्रा की सुविधा अभी तक ऊना में नहीं है, चंडीगढ़ एयरपोर्ट ऊना का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है।
ऊना जिला हज़ारों लाखों लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है क्योंकि यहां देवी देवता, सूफी संतों और गुरु के सैंकड़ों साल पुराने मन्दिर सुव्यवस्थित हैं। यहां हिंदू, सिख, मुस्लिम और इसाई धर्म के लोग मिलजुल कर निवास कर रहे हैं। हिंदू धर्म के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा 92.13% है। चूँकि यह क्षेत्र पंजाब के अधीन था और पंजाब से जुड़ा हुआ है इसलिए यहाँ की संस्कृति और रीति रिवाज़ में पंजाब की झलक भी देखने को मिलती है। यहां हिंदू धर्म के मन्दिरों के साथ-साथ सिख धर्म के गुरु और संतो के भी धार्मिक स्थल हैं जहां हजारों लाखों लोग हर साल आते हैं। सिखों के पहले गुरु गुरु नानक चंद से जुड़ें कई स्थान यहां हैं। संपूर्ण भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक मां चिंतपूर्णी का मंदिर ऊना में ही है, बाबा बालक नाथ, शीतला माता मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, महादेव मंदिर, गुगा जहाँ पीर, डेरा बाबा बड़भाग सिंह, डेरा बाबा रुद्रू, ब्रहमूति मंदिर, बाबा मौनी मंदिर आदि कुछ नाम है जहां ऊना घूमने आया हुआ हर आदमी जाना पसंद करता है।
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ऊना के लोग हंसमुख प्रकृति के हैं, मिलनसार हैं। यहां सामान्य तौर पर हिंदी, पहाड़ी और पंजाबी भाषा का प्रयोग किया जाता है। कुछ क्षेत्र है जहां पंजाबी का अधिक प्रयोग होता है कुछ जगह पर पहाड़ी बोली ज्यादा बोली जाती है। अधिकारिक तौर पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा प्रयोग में लाई जाती हैं। ऊना में सर्दी के मौसम में सर्दी पड़ती है और गर्मी में तेज़ गर्मी होती है। ऊना में सब लोग मेले और त्यौहार मिलजुल कर और काफी धूमधाम से मनाते हैं। यहाँ होला मोहल्ला, पंच भीषम, पीर निगाह, गुग्गा मेला, प्रकाशोत्सव, बैसाखी मेला आदि मेले और त्यौहार मनाये जाते हैं। ऊना जिले में आने के लिए सबसे सही समय फरवरी से अक्टूबर, नवंबर है। इस समय यहां मौसम घूमने फिरने के लिए अच्छा होता है।
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