हिमाचल प्रदेश सरकार अब जल्द ही प्रदेश के राशन डिपुओं में दो नई चीजें लांच करने की तैयारी में है। हिमाचल में अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चलने वाले डिपुओं में प्राकृतिक खेती से तैयार गेहूं का दलिया आटा और दलिया भी बिकेगा। इस संबंध में सभी जिला नियंत्रकों को' खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से पत्र जारी कर दिए गए हैं और जल्द ही निगम द्वारा डिपुओं में जल्द ही इस आटे और दलिया की आपूर्ति शुरू की जाएगी।
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यह उत्पाद केवल शहरी क्षेत्रों की डिपुओं में उपलब्ध रहेगा। कृषि विभाग ने राज्य में प्राकृतिक कृषि के तहत तैयार किए गए गेहूं से बने आटे और दलिया को बेचने का फैसला लिया है। गेहूं का आटा 100 रुपये प्रति किलोग्राम' और दलिया 115 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध होगा। उचित मूल्य की दुकानों पर बिक्री के लिए दुकानदारों को आटे पर छह रुपये प्रति किलो और दलिया पर आठ रुपये प्रति किलो का लाभांश मिलेगा।
बिलासपुर के जिला नियंत्रक ब्रिजेंद्र सिंह पठानिया ने बताया कि शुरुआत में शहरी क्षेत्रों की उचित मूल्य दुकानों को दस किलो गेहूं का आटा और दस किलो दलिया संबंधित थोक केंद्रों के माध्यम से मिलेगा। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानों को आपूर्ति केवल डिपो धारकों की मांग पर ही की जाएगी। प्राकृतिक खेती द्वारा तैयार किया आटा काफी महँगा होने के कारण' यह भी गुंजाईश है कि इस आटे को कोई ग्राहक न मिले इसलिए यदि ये उत्पाद नहीं बिके' तो निगम उन्हें वापस ले लेगा।
वर्तमान में सरकार NFSA ( National Food Security Act ) के लाभार्थियों के लिए गेहूं का आटा 1. 20 रुपये प्रति किलो और APL उपभोक्ताओं को 12 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध करवा रही है। इसके मुकाबले प्राकृतिक कृषि के तहत तैयार आटे की कीमत काफी अधिक है, जिससे इसके अधिक बिकने की संभावना कम लग रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी आपूर्ति केवल मांग के अनुसार ही की जाएगी।
आपको बता दें दोस्तों कि हिमाचल सरकार द्वारा किसानों से प्राकृतिक खेती द्वारा तैयार किया गेहूं 60 रुपए किलो खरीदा जा रहा है। प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 60 रुपए तय हुआ है, जो देश भर में सबसे अधिक है।
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