ओशो: वो जो सवालों से डरता नहीं था। ओशो, एक विचार एक आंदोलन

                                                                     


ओशो, एक विचार एक आंदोलन  

किसी एक परिभाषा में ओशो को बांधना मुमकिन नहीं। कोई उन्हें अध्यात्म का विद्रोही कहता है, कोई उन्हें बाज़ारवाद का संत, कोई सन्यासी, कोई पाखंडी। कोई कहता है कि वे ध्यान की बात करते थे, कोई कहता है वे भोग की बात करते थे। उन लोगों के लिए ओशो को समझना मुमकिन नहीं है। ओशो को समझने का सबसे साफ़ और सीधा रास्ता है — उन्हें खुली आंखों और खुले मन से सुनना और पढ़ना ।

ओशो ने जीवन को जटिल नहीं, सहज रूप में देखा। उन्होंने किसी भी विचारधारा को आंख मूंदकर स्वीकारने की जगह हर चीज़ को सवालों के तराजू पर तौला। उन्होंने कहा — “सत्य वो नहीं जो तुम्हें सिखाया गया है, सत्य वो है जिसे तुम स्वयं जानो, स्वयं अनुभव करो।”
यही बात उन्हें खास बनाती है — वो गुरु नहीं बने, बल्कि उन्होंने हर व्यक्ति को स्वयं का गुरु बनने की प्रेरणा दी।
उनके प्रवचनों में एक अलग तरह की आग थी — ऐसी आग जो अंधविश्वासों को जला दे, ऐसी रोशनी जो भीतर तक रोशन कर दे।
उन्होंने कहा, “प्रेम सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन प्रेम में स्वामित्व नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने विवाह की संस्था पर सवाल उठाए, नैतिकता की जड़ता को चुनौती दी, और यहां तक कि ईश्वर की पारंपरिक परिभाषा को भी खारिज किया।
जाहिर है, इतनी खुली सोच को दुनिया सहजता से नहीं स्वीकारती।


ओशो पर विवाद भी खूब हुए — अमेरिका में गिरफ्तारी, आश्रम में आंतरिक राजनीति, उनके अनुयायियों की कट्टर भक्ति, और उनकी शैली पर अनेक प्रश्नचिन्ह। लेकिन इन सब से परे, एक बात आज भी अडिग है — वो विचारों को आज़ाद करते थे।
ओशो ने लोगों को सिखाया कि ध्यान कोई कर्मकांड नहीं — यह तो अपने भीतर झांकने की कला है।
उन्होंने बताया कि ज़िंदगी को गंभीरता से नहीं, बल्कि पूर्णता से जीना चाहिए।
आज जब दुनिया दोबारा नियंत्रण, डर और धर्म के नाम पर बँट रही है — ओशो की बातें और ज़्यादा ज़रूरी लगती हैं।
उन्होंने कहा था, “डरो मत — सवाल करो। क्योंकि जब सवाल मरते हैं, तो इंसान भी भीतर से मर जाता है।”
ओशो का विरोध करने वाले आज भी हैं, लेकिन ध्यान देने की बात ये है — उनकी किताबें अब भी बिकती हैं, उनके वीडियोज़ अब भी करोड़ों लोग देखते हैं, और सबसे बड़ी बात — उनके सवाल आज भी ज़िंदा हैं।
शायद यही उनकी सबसे बड़ी जीत है।

               

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