चाणक्य नीति : आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य की कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताया है, जिनकी वजह से पढ़ा लिखा व्यक्ति भी समाज में मूर्खों के श्रेणी में गिना जाता है। ऐसी आदतों से स्वयं को और समाज को काफी नुकसान हो सकता है इसलिए इन आदतों को तुरंत पहचान कर छोड़ देना चाहिए।
आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जानता आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वे तक्षशिला विश्व विद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने अपने जीवन काल में राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, सामाजिक शास्त्र और कृषि शास्त्र से सम्बंधित कई महान ग्रन्थ लिखे, जिनका अनुसरण करके आज भी उनके अनुयायी इनका लाभ लेते हैं। हज़ारों साल पहले कही गयीं उनकी नीतियां आज भी अनुसरणीय हैं। आप भी आचार्य चाणक्य की नीतियों पर अमल करके जीवन को खुशहाली और सुख शांति से भर सकते हैं। आचार्य का नीतिज्ञान कठोर अवश्य है लेकिन आमजन के लिए फायदेमंद है।
आचार्य ने स्त्री- पुरुष सभी के गुणों और अवगुणों का वर्णन अपने निति शास्त्र में किया है। उन्होंने कुछ आदतों के बारे में कहा है जिनकी वजह से पढ़ा लिखा व्यक्ति भी मुर्ख की तरह ही होता है। उन्होंने बताया कि ऐसे इन्सान चाहे जितना अमीर हो जाएँ फिर भी समाज में कोई उनकी इज्जत नहीं करता।
स्वयं को ज्यादा बुद्धिमान समझने वाला
आचार्य के अनुसार जो व्यक्ति स्वयं को ज्यादा अक्लमंद समझता है, वो मुर्ख की तरह होता है। ऐसे व्यक्ति दूसरों को हमेशा अपने से कम आंकते हैं, छोटे छोटे अवसरों पर भी अपनी बड़ाई करने से बाज़ नहीं आते। ऐसे लोगों को जब कोई अन्य व्यक्ति सलाह देता है तो उसे भी अपमानित करते हैं। इस वजह से खुद का ही नुक्सान कर बैठते हैं।
दूसरों को नीचा दिखाने वाला
कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, जब वे ज्यादा पढ़ लिख लेते हैं तो अपने से कम पढ़ें लिखे या कम कमाने वाले लोगों को छोटा समझने लगते हैं। छोटे लोगों के अलावा अपने बड़ों से भी ठीक व्यवहार नहीं करते हैं। चाणक्य ने ऐसे लोगों को भी मुर्ख कहा है। इस तरह के इनसान दूसरों से कभी सम्मान नहीं पाते हैं।
बिना सोच समझकर काम करने वाले मनुष्य
जो मनुष्य बिना सोचे समझे किसी काम को शुरू कर देते हैं या किसी भी बात पर बिना जाँच पड़ताल के भरोसा कर अमल करते हैं, चाणक्य के अनुसार ऐसे व्यक्ति भी मुर्ख होते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में बार बार अपना नुकसान कर बैठते हैं।
अपनी तारीफ करने वाले
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हर समय अपनी ही तारीफ करते रहते हैं। दूसरे लोगों को कम अक्लमंद समझते हैं ,वास्तव में वो खुद ही मुर्ख होते हैं। ये लोग अपनी छोटी से उपलब्धि को सौ गुना बढ़ा चढ़ाकर दूसरे लोगों के सामने पेश करते हैं। और इन लोगों को व् लोग ज्यादा पसंद आते हैं जो इनकी तारीफ करते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को सब पीठ पीछे बेइज्जत ही करते हैं।
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