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Renuka Lake: Photo Taken From Wikipedia |
सिरमौर जिले का इतिहास काफी पुराना है लेकिन पुस्तकों के रूप में पूरी तरह व्यवस्थित नहीं है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, "कियारा-दून", के एक सूर्यवंशी राजा ने अपने एक घिनौने अपराध या पाप के कारण अपना शासन खो दिया था। "दून" घाटियों को कहा जाता है। कियारा दून हिमाचल के सबसे दक्षिण पूर्व में शिवालिक की कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों (300 -600 मीटर) में स्थित था, जिसे पांवटा घाटी के नाम से भी जाना जाता है। कलाबाज़ी (एक्रोबेटिक) में निपुण एक महिला ने कियारा दून के राजा को अपनी कला के बारे में बताया जिस पर राजा ने महिला को चुनौती दी कि यदि वह गिरी नदी को रस्सी पर चल कर पार कर दिखाये तो राजा अपना आधा राज्य इनाम के तौर पर उसे दे देगा। महिला ने रस्सी पर चल कर गिरि नदी पार कर ली और जब वापस आने लगी तो राजा के एक आदमी ने राज्य को देने के लिए वह रस्सी काट दी और वह महिला गिरी नदी में समा गई, इस अपराध दोष के कारण सारे क्षेत्र में बाढ़ आ गई और सारा कियारा दून उस बाढ़ में तबाह हो गया। सिरमौर जिसे उस समय सिरमूर के नाम से जाना जाता था, कियारा दून की राजधानी था। उस घटना के कुछ समय के बाद जैसलमेर का एक राजकुमार ,जो हरिद्वार घूमने निकला हुआ था, को कियारा के एक मंत्री ने कियारा दून आकर यहां का मुखिया बनने का निमंत्रण दिया। राजकुमार ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और सिरमूर रियासत का पहला राजा बना, उस राजकुमार का नाम था "सुबंश प्रकाश", जिसने साल 1095 में राजबन को सिरमूर की राजधानी घोषित किया। सुबंस प्रकाश से ही सिरमुर में प्रकाश वंश का भी उदय हुआ। धीरे धीरे सिरमुर रियासत का विस्तार होने लगा। साल 1621 में राजा करम प्रकाश ने नाहन नगर की स्थापना की, प्रकाश वंश ने सिरमुर रियासत पर काफी लम्बे समय तक शासन किया। सिरमुर रियासत काफी शक्तिशाली रियासत थी और गोरखा, सिख, मुगल और ब्रिटिश जैसे शासकों से संबंध बनते बिगड़ते रहे। सिरमुर रियासत के शासक हमेशा हाथ मिलाने में विश्वास रखते थे, साथ ही बहुत अच्छे योद्धा भी थे, इस कारण सिरमूर हमेशा ही एक स्वतंत्र रियासत रही है। सिरमुर रियासत कभी गुलाम नहीं हुआ। ब्रिटिश सरकार द्वारा सिरमुर रियासत को 11 बंदूकों की सलामी की उपाधि से नवाजा गया था क्योंकि यहां के शासकों ने ब्रिटिश हुकुमत के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर लिए थे। सिरमुर के राजाओ ने प्रथम अफगान युद्ध, सिख युद्ध, द्वितीय अफगान युद्ध में अंग्रेजों की काफी सहायता की थी। गोरखा सेना से युद्ध करने के लिए सिरमूर के शासकों ने ब्रिटिश सरकार के साथ हाथ मिलाया और गोरखा सेना को वहां से भगा दिया, गोरखा युद्ध के बाद अंग्रेजों ने सिरमूर के राजा करम प्रकाश के पुत्र फतेह प्रकाश को सिरमूर का राजा घोषित किया गया। प्रकाश वंश ने भारत की आजादी तक सिरमुर में शासन किया। 23 मार्च 1948 को सिरमौर रियासत को हिमाचल प्रदेश में शामिल किया गया।
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वर्तमान समय में सिरमूर रियासत को सिरमौर जिला के नाम से जाना जाता है। सिरमौर जिले की कुल 7 तहसील, नाहन, शिलाई, पच्छाद, राजगढ़, पांवटा साहिब, संगड़ाह और ददाहू हैं, 6 उप-तहसील नौराधार, कमरउ, रोनहाट, नारग, पझौता, माजरा और हरिपुर धार हैं। जिला में 5 सब डिवीजन, 6 ब्लॉक कार्यालय, 228 पंचायत और 976 गांव हैं जिन में से 8 गांव निर्जन हैं। सिरमौर की 89% आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। सिरमौर जिला का मुख्यालय नाहन है, जिलाधीश सहित अधिकतर सरकारी कार्यालय नाहन से ही अपना काम करते हैं। सिरमौर जिला के लोग काफी शांत स्वभाव के हैं। सिरमौरी लोग मेहनती किस्म के हैं। यहाँ हिंदू धर्म के लोग निवास करते हैं, बाकी अन्य धर्मों के लोग काफी कम संख्या में हैं जिन में मुस्लिम धर्म के लोग अधिक हैं। कृषि और पशु पालन यहां के लोगों के रोजगार का मुख्य साधन है। सिरमौर में मुखिया रूप से हिंदू देवी देवताओं की पूजा की जाति है। हिंदी, पहाड़ी और पंजाबी यहां की मुख्य भाषाएं हैं। सिरमौर के लोगो ने अपनी संस्कृति और परंपरा को कायम रखा है, यहां हर तीज त्योहार सामूहिक रूप से मनाये जाते हैं। ऊन से बने कपड़े, आधुनिक पैंट शर्ट, सलवार कमीज यहां के लोगों का पहनावा है। सिरमौर जिला से काफी लोग प्रसिद्ध हुए हैं जिनमें गायक मोहित चौहान, द ग्रेट खली, कलाकार राकेश पाण्डेय, राहुल वर्मा आदि नाम शामिल हैं। सिरमौर जिले के संगड़ाह, कमरउ आदि क्षेत्रों में चूनापत्थर भी पाया जाता है, सिरमौर में पाए जाने वाला लाइमस्टोन उच्च गुणवत्ता वाला है, पांवटा साहिब जिला औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है, यहां दवाई, घरेलु सामान बनाने की इंडस्ट्री काफी फल फूल रही है। यमुना और गिरी नदियां सिरमौर की मुख्य नदिया हैं, गिरि नदी सिरमौर जिला को 2 भागो में विभाजित करती हैं जिन्हे गिरिपार और गिरिवार क्षेत्र कहते हैं।
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सिरमौर जिला पहुँचने के लिए हवाई मार्ग, सड़क मार्ग काफी उपयोगी हैं, चंडीगढ़ एयरपोर्ट यहां से सबसे नज़दीक 90 किलोमीटर है, जबकि अंबाला कैंट यहां का सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन है जो 65 किलोमीटर है। सिरमौर में आकर पर्यटक लोग काफी आनंद का आभास करते हैं क्योंकि जिला में विभिन क्षेत्र हैं जो अत्यंत रमणीय और खूबसूरत क्षेत्र हैं। सिरमौर में काफी गांव और छोटे छोटे नगर हैं, जहां की खूबसूरती आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है। सिरमौर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से दिलकश प्राकृतिक नज़ारे देखने को मिलते हैं, यहां से पड़ोसी राज्य उत्तराखंड का नजारा भी देखने को मिलता है। सिरमौर के चूड़धार चोटी, हरिपुरधार, हब्बन घाटी, रेणुका जी, शिलाई, राजगढ़, शिवालिक फॉसिल पार्क, त्रिलोकपुर, जैतक किला यहां के रमणीय और प्रसिद्ध जगह हैं जहां देशी विदेशी पर्यटक लोग जाना पसंद करते हैं। रेणुका जी में चिड़ियाघर है जो हिमाचल प्रदेश का सबसे पुराना चिड़ियाघर है। सिरमौर के जंगलों और वन्य जीव सरंक्षित (वन्य जीवन अभयारण्य) क्षेत्रो में भालू, मोनाल, तेंदुआ, हिरन, शेर जैसे पशु पक्षी पाए जाते हैं। ज़िला में यमुना और गिरी 2 मुख्य नदियों के अलावा टौंस, बाटा, मारकंडा, घग्गर, जलाल आदि नदियां हैं जो यमुना और गिरि की सहायक नदियाँ हैं। तहसील ददाहू में रेणुका जी बांध का निर्माण किया जा रहा है जिस से दिल्ली और अन्य कुछ राज्यों को पीने का साफ और स्वच्छ मीठा पानी पहुंचया जाएगा।
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