तुम किन लोगों के साथ बैठते हो, हम बता देंगे तुम कहां पहुँचोगे।”
यह बात यूँ ही नहीं कही गई। चाणक्य नीति में इसका गहरा अर्थ छिपा है। आचार्य चाणक्य मानते थे कि इंसान अकेले नहीं बनता—वह अपनी संगति से बनता है। आज के समय में यह बात पहले से कहीं अधिक सच है। आपका फ्रेंड सर्कल, आपका माहौल, आपकी रोजमर्रा की बातचीत—सब मिलकर आपके भविष्य और करियर की दिशा तय कर देते हैं।
संगति बताती है कि आप जीवन में कहाँ पहुँचेंगे
इसका अर्थ यह है कि इंसान की सोच, आदतें और जीवन की दिशा उसी संगति से बनती है जिसमें वह समय बिताता है। आज की तेज़-तर्रार लाइफस्टाइल में यह बात और भी सत्य हो जाती है।
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अच्छे और बुरे साथ का असर तुरंत दिखता है
अच्छे लोगों का साथ इंसान का जीवन बदल सकता है, जबकि बुरे लोगों का प्रभाव उसे अपनी आदतों और रंग में जल्दी ढाल देता है।
यदि आपके दोस्त प्रेरणादायक और लक्ष्य-केन्द्रित हैं, तो आपके निर्णय भी मजबूत होंगे।
परंतु समय बर्बाद करने वाले लोगों के साथ रहने से आपकी आदतें, सोच और दिशा दोनों कमजोर होती जाती हैं।
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दोस्त तय करते हैं आपकी सोच और आदतें
यानि आप जैसा माहौल चुनते हैं, वैसी ही आपकी बुद्धि, आपका स्वभाव और आपका भविष्य बनता है।
अक्सर देखा जाता है कि सकारात्मक और अनुशासित लोगों का साथ इंसान की प्रगति को तेज़ कर देता है, जबकि नकारात्मक लोगों का प्रभाव समय और ऊर्जा दोनों को नष्ट कर देता है।
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सोशल मीडिया की संगति भी असर डालती है
आप किसे फॉलो करते हैं, किसकी बातें सुनते हैं और किसकी लाइफस्टाइल देखते हैं—यह सब आपकी सोच और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है।
सोशल मीडिया पर भी वही नियम लागू होता है:
अच्छी संगति आगे बढ़ाती है, गलत संगति दिशा भटका देती है।
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निष्कर्ष: संगति ही भविष्य का आधार है
“सही साथ आपको आगे ले जाता है, गलत साथ आपको पीछे गिरा देता है।”
इसलिए अपने मित्र, परिवेश और सोशल मीडिया की संगति सोच-समझकर चुनें, वरना करियर और जीवन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

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